आवास वित्त क्षेत्र में पक्षकारों के बीह्वा लेनदेन को स्थूल रूप से यथा “प्राथमिक आवासीय बंधक बाज़ार” तथा “गौण आवासीय बंधक बाज़ार” वर्गीकृत किया जा सकता है । प्राथमिक बंधक बाज़ार की गतिविधियों में मुख्यत: उधारकर्ताओं और प्राथमिक ऋणदाताओं के बीह्वा लेनदेन के परिणामस्वरूप बंधकों का निर्माण आता है । प्राथमिक ऋणदाता मकान खरीदने वालों को उनकी ओर से दिए गए ऋणों के लिए बंधक निर्मित करते हैं । परिसम्पत्ति के रूप में रखे गए बंधक ऋणों पर मूलधन एवं ब्याद्दा दोनों के पुनर्भुगतानों के द्योतक नकदी प्रवाह पैदा करते हैं ।
गौण बंधक बाज़ार में मुख्यत: बंधकों का व्यापार योग्य वित्तीय लिखतों में संपरिवर्तन और प्रत्याशित निवेशकों को इन लिखतों का विक्रय शामिल है । नकदी प्रवाह, जो उधारकर्ताओं से प्रवर्तकों की ओर पुनर्भुगतान के रूप में आते हैं, को खरीद लिए गए बंधकों के समूहन(पूल) के प्रबंध के उ टश्य से अभिहित एक मध्यवर्ती अभिकरण (विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी) को परिसम्पत्तियों के उसी समय अंतरण के साथ किसी तीसरे पक्षकार को अंतरित किया जा सकता है । ये नकदी प्रवाह विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी) द्वारा निवेशकों को दे दी जाती हैं । इस प्रक्रिया में, बंधकों को प्रतिभूतियों में संपरिवर्तित किया जाता है, जो व्यापार योग्य वित्तीय लिखतें होती हैं और निवेशकों को बेह्वा दी जाती हैं । गौण बंधक बाज़ार इस प्रकार प्रतिभूतियों से बन जाता है जो बंधकों से समर्थित होता है और निर्गमकर्ताओं तथा निवेशकों के बीह्वा लेनदेन को निर्दिष्ट करता है ।
एक बार प्रतिभूतिकृत बंधक प्रवर्तकों अर्थात् प्राथमिक ऋणदाता संस्थानों द्वारा बेह्वा दिए जाने पर, वे या तो प्रवर्तक की लेखा-बहियों में अमान्य हो जाते हैं और एक विनिर्दिष्ट तरीके से प्रस्तुत किए जाते हैं । बंधकसमर्थित वित्तीय लिखतों में सभी भावी लेनदेन, तब बाज़ार की गहनता पर निर्भर करते हुए, गौणबंधक बाज़ार में हो सकते हैं । गौण बंधक बाज़ार और आवास वित्त प्रणाली में समग्र ह्वालनिधि में वृद्धि होगी और गौण बंधक बाज़ार में निवेशकों में लेनदेन भी बड्ढ़टगा ।
2. लेनदेन (संव्यवहार)
लेनदेन में निम्नलिखित संबद्ध होता है :-
क. प्राथमिक ऋणदाता संस्थानों से पूर्वाधिकार बंधकों सहित आवास ऋणों के एक समूहन (पूल) का रा.आ.बैंक को समनुदेशन एवं अंतरण ।
ख. बंधक ऋणों का प्रतिभूतिकरण : पूर्वाधिकार बंधकों के साथ समूहन (पूल) अधिग्रहित करने पर निवेशकों के लाभार्थ स्वयं को एक न्यासी नियुक्त करके, बंधक ऋणों के संबंध में रा.आ.बैंक की ओर से न्यास की एक सुस्पष्ट घोषणा की जाएगी । एक बार परिसम्पत्तियों को “न्यास” की संपत्ति घोषित कर दिये जाने पर, न्यास पास थ्रू प्रमाण-पत्रों को निवेशकों को जारी कर देगा ।
चरण – 1
प्रवर्तक द्वारा प्रतिभूतिकरण के लिए प्राधिकार : प्रवर्तक को अपने गृह ऋणों के समूहन (पूल) के प्रतिभूतिकरण के लिए अपने सुसंगत उह्वह्वा प्राधिकारी से प्राधिकार प्राप्त करना ।
राष्ट्रीय आवास बैंक को सूह्वात करना : प्रवर्तक (आ.वि.कं./बैंक) को एक औपचारिक पत्र रा.आ.बैंक को लिखना है द्दासमें रा.आ.बैंक के विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी) के प्रबंध सहित अपनी गृह ऋण सूचना के प्रतिभूतिकरण करने के प्रस्ताव और अपने सुसंगत प्राधिकारियों से सुसंगत प्राधिकार (उदाहरणार्थ निदेशक मंदृल को संकल्प) की प्रतियों सहित अपने गृह ऋणों का प्रतिभूतिकरण करने का अपना आशय सूह्वात किया जाए ।
चरण-2
ऋणों के समूहन(पूल) का ह्वायन
समयावधि : प्रवर्तक की सुविधानुसार
रा.आ.बैंक का समूहन (पूल) के चचयन का मानदंदृ (पृथक रूप से दिया गया है) – गृह ऋणों को प्रतिभूतिकरण के लिए प्रस्तुत बंधक समूहन (पूल) में चयनार्थ विचार किए जा रहे सुरक्षा मानकों को पूरा करना चाहिए ।
ऋणों के चयनार्थ भौगोलिक अवस्थिति की पहचान करना – प्रारम्भ में, तमिलनादु, गुद्दारात (अनिवार्य), कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्ह्वाम बंगाल में प्रवर्तित ऋणों पर विचार किया जा सकता है ।
रा.आ.बैंक के परामर्श से प्रवर्तक द्वारा) समूहन (पूल) के आकार की प्रारम्भिक राशि का विनिश्ह्वाय ।
समूहन (पूल) की प्रारम्भिक जानकारी रा.आ.बैंक को देना ।
चरण-3
बंधक समूहन(पूल) की सम्यक तत्परता एवं पात्रता निर्धारण(रेटिंग) (एक ही समय की जाए) ।
क.
<ul>
<li>(रा.आ.बैंक के परामर्श से) (एएए(एसओ) निर्धारण (रेटिंग) के लिए प्रवर्तक की ओर से निर्धारक अभिकरण की नियुक्ति)</li>
<li>निर्धारक अभिकरण को समूहन (पूल) संबंधी जानकारी देना</li>
<li>पात्रता निर्धारण (रेटिंग) की प्रक्रिया का प्रारम्भ</li>
<li>निर्धारक अभिकरण द्वारा निर्धारण (रेटिंग) करना</li>
</ul>
ख.
<ul>
<li>(रा.आ.बैंक एवं प्रवर्तक के बीह्वा परामर्श से) बंधक समूहन (पूल) की सम्यक तत्परता से लेखा परीक्षण के लिए लेखापरीक्षकों की नियुक्ति</li>
<li>सम्यक तत्परता को प्रमाणित करने के लिए लेखापरीक्षकों द्वारा बंधक समूहन (पूल) का सत्यापन (लेखापरीक्षक बैंक/आ.वि.कं. के सांविधिक अथवा किसी सनदी लेखाकार फर्म के लेखापरीक्षक होने जाहिएं )</li>
<li>सम्यक तत्परता से लेखापरीक्षा पूरी होना और लेखापरीक्षकों द्वारा उसका प्रमाणन</li>
</ul>
चरण-4
(यह चरण-5 के साथ-साथ किया जा सकता है, क्योंकि प्रस्ताव दस्तावेज़ रा.आ.बैंक और बैंक के बीह्वा निष्पादित किए जाने वाले करार के ज्ञापन का एक भाग है )
<ul>
<li>रा.आ.बैंक की ओर से निर्गम के प्रबंधकर्ताओं की नियुक्ति : (रा.आ.बैंक और प्रवर्तक के बीह्वा परामर्श पर)</li>
<li>निर्गम के प्रबंधकर्ताओं द्वारा प्रस्ताव दस्तावेज़ की तैयारी</li>
</ul>
<br clear=”all” />चरण-5
रा.आ.बैंक के साथ करार के ज्ञापन का निष्पादन
<ul>
<li>रा.आ.बैंक की ओर से प्रारूप करार बैंक/आ.वि.कं. को भेजा जाएगा</li>
<li>बैंक/आ.वि.कं. की ओर से करार को अन्तिम रूप दिया जाना</li>
<li>रा.आ.बैंक एवं प्रवर्तक की ओर से करार पर हस्ताक्षर किया जाना</li>
</ul>
चरण-6
<ul>
<li>निर्गम खुलना</li>
<li>रा.आ.बैंक द्वारा आवेदन राशि प्राप्त करना</li>
<li>निर्गम बंद होना</li>
<li>रा.आ.बैंक और निर्गम प्रबंधकर्ताओं द्वारा आबंटन को अन्तिम रूप दिया जाना</li>
<li>(आबंटन को अन्तिम रूप दिये जाने के तत्काल बाद) रा.आ.बैंक द्वारा निवेशकों को आबंटन पत्र जारी करना</li>
<li>(निवेशकों को आबंटन पत्र जारी किये जाने के साथ-साथ) निवेशकों को रा.आ.बैंक की ओर से प्रतिफल का भुगतान</li>
</ul>
चरण-7
भुगतान करने की निर्धारित तारीख पर निवेशकों को भुगतान करना ।
चरण-8
प्रलेखन
निम्नलिखित का निष्पादन :
<ul>
<li>करार का विलेख</li>
<li>न्यास की घोषणा का विलेख</li>
<li>सेवा और अदाकर्ता अभिकरण का करार</li>
<li>अन्य कोई दस्तावेज़</li>
</ul>
दस्तावेज़ों (समनुदेशन और न्यास की घोषणा के विलेख) का आश्वासन उप पंचींयक के कार्यालय में पंचींकरण
(रा.आ.बैंक गुद्दारात में दस्तावेज़ों के निष्पादन से संबंधित सभी विधिक एवं परामर्श सहायता प्रदान करेगा । गुद्दारात में स्थानीय समन्वय के उ टश्य से, प्रवर्तक आ.वि.कं./बैंक राष्ट्रीय आवास बैंक के परामर्श से कोई अधिवक्ता रख सकते हैं )
अन्य गतिविधियां
<ul>
<li>सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता द्वारा रा.आ.बैंक को मासिक प्रबंध सूह्वाना प्रस्तुत करना</li>
<li>ऋण-पात्रता निर्धारण (क्रेदृट रेटिंग) अभिकरण द्वारा मासिक सर्वेक्षण</li>
<li>सेवा एंव अदाकर्ता अभिकर्ता द्वारा रा.आ.बैंक विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी)न्यास को अर्धवार्षिक लेखापरीक्षा की रिपोर्टें प्रस्तुत करना</li>
<li>रा.आ.बैंक एसपीवी न्यास द्वारा आवधिक निरीक्षण एवं लेखापरीक्षण</li>
</ul>
विस्तार से
प्रतिभूतिकरण प्रक्रिया को दो अवस्थाओं की एक प्रक्रिया समझा जा सकता है ।
प्रथम अवस्था : प्राथमिक ऋणदाता संस्थान (प्रवर्तक) से एक विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी) (अर्थात् रा.आ.बैंक द्वारा घोषणा के माध्यम से स्थापित रा.आ.बैंक वि.प्र.मा.(एसपीवी) न्यास को पूर्वाधिकार प्रतिभूति सहित अथवा रहित बंधक ऋणों को अंतरण ।
द्वितीय अवस्था : इस प्रकार से अधिग्रहित बंधक ऋण को व्यापार योग्य ऋण लिखत में (कहें कि पास थ्रू प्रमाण-पत्र के रूप में) प्रवर्तक अथवा विशेष प्रयोद्दान माध्यम (एसपीवी) के अवलंबन के बिना संपरिवर्तित किया जाएगा ।
बंधक ऋण का प्रतिभूतिकरण : रा.आ.बैंक वि.प्र.मा.(एसपीवी) आद्दाकल आवास ऋणों को खरीद सकता है और उन्हें प्रतिभूतियों/पास थ्रू प्रमाण-पत्रों में संपरिवर्तित कर सकता है और निवेशक संस्थानों द्वारा निवेश के लिए उन्हें पूंजीं बाज़ार में जारी कर सकता है ।
राष्ट्रीय आवास बैंक के साथ करार के ज्ञापन का निष्पादन
अपनी आवास ऋण सूची को बेह्वाने अथवा प्रतिभूतिकृत करने की उत्सुकता के आधार पर प्राथमिक ऋणदाता संस्थान के लिए (करार का ज्ञापन, नामक)एक छत्र करार पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है । यह करार रा.आ.बैंक के साथ अपने आवास ऋणों की सूची को बेह्वाने/प्रतिभूतिकृत करने के लिए किया जाता है । करार का ज्ञापन बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी सम्पूर्ण लेनदेन को संपुटित (समाहित) करता है और रा.आ.बैंक को, यथास्थिति, निवेशकों से अभिदान की राशि समाहरित करने और सूह्वाना ज्ञापन के प्रचार सहित आवास ऋणों के एक निर्धारित समूहन (पूल) को खरीदने अथवा प्रतिभूतिकृत करने के लिए आवश्यक कदम उख्रने का हकदार बनाता है ।
आवास ऋणों के समूहन (पूल) का चयन
आवास ऋणों के समूहन (पूल) का चायन प्राथमिक ऋणदाता संस्थान की ओर से एक समूहन (पूल) ह्वायन मानदंदृ पर आधारित अपने वर्तमान आवास ऋणों में से किया जाएगा । समूहन (पूल) ह्वायन संबंधी मानदंदृ को समय-समय पर रा.आ.बैंक अपने एकमात्र विवेकानुसार आशोधित कर सकता है ।
समूहन (पूल)संबंधी जानकारी
प्राथमिक ऋणदाता संस्थान के लिए (संलग्न विहित प्ररूपों में) यथा निम्नानुसार समूहन (पूल) से संबंधित ऋणों का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा ।
सम्यक तत्परता से लेखापरीक्षा
प्राथमिक ऋणदाता संस्थान कंपनीके सांविधिक लेखापरीक्षकों अथवा रा.आ.बैंक को स्वीकार्य सनदी लेखाकारों की किसी फर्म द्वारा ऋण खातों का सम्यक तत्पर पुरीक्षण कराना होगा और सम्यक तत्परता से किए गए लेखापरीक्षण की रिपोर्ट रा.आ.बैंक को निम्नलिखित प्रमाणित करते हुए करार के ज्ञापन के निष्पादन के बाद प्रस्तुत करेगा :-
(i) समूहन(पूल) में प्रत्येक आवास ऋण रा.आ.बैंक द्वारा निर्धारित ह्वायन मानदंदृ को पूरा करता है और उसके अनुरूप है ।
(ii) प्राथमिक ऋणदाता अभिकरण की ओर से रा.आ.बैंक को दी गई सभी जानकारी, जो कि कथित अभिकरण के उधारकर्ता के बारे में है, वास्तविक एवं ख्रक है ।
(iii) रा.आ.बैंक को बेह्वाने/उसके माध्यम से प्रतिभूतिकरण के लिए प्रस्तावित आवास ऋणों के समूहन (पूल) से द्दाजद़े सभी दस्तावेज़ विधिक रूप से विधिमान्य और प्रवर्तनीय हैं और कथित अभिकरण का उन पर प्रतिभूति हित अथवा दावा, प्रभार, बंधक साम्य (इक्विटी) भार, मांग, प्रतिदावे और किसी संरह्वाना को स्पष्ट करना और प्रत्येक आवास ऋण को मुक्त करने का अह्वछा एवं समनुदेशनीय अधिकार होता है ।
(iv) किसी भी व्यक्ति और आवास वित्त कंपनी को समनुदेशित, अंतरित अथवा बंधक रखा कोई भी आवास ऋण एकमात्र वैध और इन आवास ऋणों का पूर्ण लाभार्थी स्वामी नहीं है और रा.आ.बैंक आवास ऋणों को अंतरित और समनुदेशित करने का पूर्ण अधिकार नहीं रखता है ।
समूहन (पूल) का मूल्यांकन और समनुदेशन का प्रतिफल
रा.आ.बैंक प्रवर्तकों के लाभार्थ एक ख्रेस और उत्कृष्ट मूल्यन ढांचा प्राप्त करने की ष्टि से, निम्नलिखित पद्धति विज्ञान के अधीन प्राथमिक ऋणदाता अभिकरण को क्रय के प्रतिफल का भुगतान करने पर वि्चार कर रहा है :-
(i) सम मूल्यन पद्धति
समूहन (पूल) के अंतरण के लिए प्राथमिक ऋणदाता को संदेय प्रतिफल किसी निर्दिष्ट तारीख पर आवास ऋणों के कुल भावी बकाया मूलधन शेष के समतुल्य होगा ।
(ii) प्रीमियम मूल्यन पद्धति
समूहन (पूल) अंतरित करने के लिए प्राथमिक ऋणदाता को संदत्त प्रतिफल विनिश्ह्वात किया जाएगा और समूहन (पूल) से संबंधित निवल नकदी प्रवाह के भावी धारा के आधार पर दिया जाएगा । यह सामान्यतया किसी निर्दिष्ट तारीख पर वैयक्तिक ऋणों के कुल बकाया मूलधन शेष की अपेक्षा अधिक होगा क्योंकि प्रयुक्त बागत दर उह्वह्वातर जोखिम बोध के कारण भारित औसत लाभांश (कूपन) की अपेक्षा अधिक होगा ।
(iii) बागत मूल्यन पद्धति
समूहन (पूल) अंतरित करने के लिए प्राथमिक ऋणदाता को संदत्त प्रतिफल किसी निर्दिष्ट तारीख को वैयक्तिक ऋणों के कुल बकाया मूलधन शेष से अल्पतर होगा क्योंकि प्रयुक्त बागत दर उह्वह्वा जोखिम बोध के कारण समूहन (पूल) के भारित औसत लाभांश (कूपन) की अपेक्षा अधिक होगी ।
मूल्यांकन के प्रमुख विशेष पहलू
<ul>
<li>पूर्वाधिकार गृह ऋणों का बकाया मूलधन आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी पेपरों के अंकित मूल्य से अधिक नहीं होना जाहिए ।</li>
<li>समूहन (पूल) की प्राप्य राशियां : आवास वित्त कंपनी (या तो अपनी कॉरपोरेट हैसियत से अथवा न्यासी की हैसियत से) यथा निर्दिष्ट तारीख पर उन आवास ऋणों के बकाया मूलधन की शेष (राशि) के प्रतिभूतिकरण के लिए और उसके लिए अन्य प्रतिभूतियों अथवा बंधक में और उसके संबंध में उसके सभी अधिकारों, स्वत्वाधिकारों और हित सहित उस पर देय सभी भावी ब्याद्दा समनुदेशित, अंतरित और सूह्वात करेगा ।</li>
<li>रा.आ.बैंक और प्राथमिक ऋणदाता संस्थान के बीह्वा प्रबंध के ड्ढांह्वो के अनुसार, समूहन (पूल) का ब्याद्दा विभेदक भाग (अर्थात् यथास्थिति, बंधक समर्थित प्रतिभूतियों में आवास ऋणों के क्रेता/निवेशक को लाभांश (कूपन) ब्याद्दा सहित लेनदेन की कुल लागत से कम समूहन (पूल) का भारित औसत लाभांश (कूपन) को किसी रूप में अथवा बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के किसी वर्ग विशेष में, निवेश पर आय अथवा एक अतिरिक्त सेवाशुल्क के रूप में गौण नकदी प्रवाह की निरन्तर धारा के रूप में तैयार किया जाए ।</li>
</ul>
टिप्पणी
ऊपर कहे गए (ii) एवं (iii) के संबंध में, निवल नकदी प्रवाह, निर्धारण (रेटिंग) सर्वेक्षण शुल्क, पूंजीयक का शुल्क, सूचनाबद्ध करने का शुल्क, लेखापरीक्षा/द्दोब खर्ह्वा द्दौसे आवर्ती व्यय और ड्ढांह्वो में यथा विनिश्ह्वात ऋण वृद्धि के किसी रूप में, सकल नकदी प्रवाह से काट कर निकाला जाएगा । कारक सेवा प्रदाता की योग्यताओं/ऋण विश्वसनीयता के आकलन सहित उसके लिए समह्लो गए जोखिम प्रीमियम और लेनदेन के अधीन अंतरित किए जा रहे जोखिम के अतिरिक्त, उसी तरह से निर्धारित (रेटेदृ) पेपरों के संबंध में ऋण बाज़ार में प्रह्वालित ब्याद्दा की दर के किसी यथार्थ आकलन के आधार पर अवधारित किया जाएगा ।
राष्ट्रीय आवास बैंक यथा निर्दिष्ट तारीख पर प्रवर्तक की लेखा बहियों में बकाया किसी अतिदेय समकृत मासिक किस्तों अथवा दांदृक ब्याद्दा/द्दोब खर्ह्वा को नहीं खरीदेगा । द्दाब और द्दौसे ही यह राशि संबंधित उधारकर्ताओं से समाहरित की जाएंगी, वैसे ही प्रवर्तक इन्हें रख लेगा अथवा पक्षकारों के बीह्वा हुई सहमति के अनुसार, निर्दिष्ट तारीख के बाद प्रथम माह के समाहरण से कटौती की अनुमति दे दी जाएगी ।
निर्दिष्ट तारीख को शेष निकालना
यथा निर्दिष्ट तारीख को बकाया मूलधन इस अवधि के दौरान किसी पुनर्भुगतान के समायोद्दान के साथ निर्दिष्ट तारीख तक संदेय समकृत मासिक किस्तों के मूलधन संघटक तक मूल ऋण की राशि को समायोद्दात करके निकाला जाए । कोई भी समकृत मासिक किस्त/यथा निर्दिष्ट तारीख को अदत्त रहे अन्य प्रभारों को निर्दिष्ट तारीख को प्राप्य राशियों के रूप में पृथक रूप से दर्शाया जाएगा ।
ऋण में वृद्धि करना
एएए का ऋण पात्रता निर्धारण (रेटिंग) बनाए रखने और समूहन (पूल) का निष्पादन सुधारने के लिए और क्रेता को उपदर्शित लाभांश (कूपन) हित अथवा बंधक समर्थित प्रतिभूति संबंधी पेपर में पश्चात्वर्ती निवेशकों को प्रतिफल के लिए निर्बाधित नकदी प्रवाह सुनिश्ह्वात करने के लिए भी, निर्धारण (रेटिंग) अभिकरण अथवा रा.आ.बैंक इस लेनदेन के अधीन (ऋण वृद्धि नामक) अतिरिक्त ऋण सहायता के लिए आग्रह करे । ऋण वृद्धि विभिन्न रूपों, द्दौसे कि (नकदी संपार्श्विक लेखा नामक)एक नकदी समूहन (पूल) को र करना, सीमित कॉरपोरेट गारंटी, तीसरे पक्ष की गारंटी (अति संपार्श्विकीकरण नामक) एक अतिरिक्त बंधक समूहन (पूल) को र करना (प्रतिभूतिकरण की स्थिति में) बंधक समर्थित प्रतिभूति संबंधी गौण पेपर में निवेश, इत्यादि में प्रदान की जा सकती है । आरम्भ से, बंधक ऋण के प्रतिभूतिकरण की स्थिति में, ऋण सहायता, ऋण-पात्रता निर्धारण (रेटिंग) अभिकरण की सिफारिश के आधार पर मांगी जाएगी।
चलनिधि की समायोजन सुविधा
प्राथमिक ऋणदाता अभिकरणों की ओर से उनके उधारकर्ताओं को दी गई रियायत अवधि में और कभी-कभी कुछ उधारकर्ताओं की किस्तों की विलम्बित प्राप्ति की ष्टि से समाहरण कुशलता एक महीने से दूसरे महीने भिन्न हो सकती है और द्दाससे सेवा के लिए आवश्यक नकदी प्रवाह अपर्याप्त हो सकता है । आवास ऋण के क्रेताओं/बंधक समर्थित प्रतिभूतियों में निवेशकों को ऐसी अनिश्ह्वातताओं से संरक्षण देने के लिए, एक अस्थायी विराम अंतराल प्रबंध के रूप में, एक ह्वालनिधि समायोद्दान सुविधा करने की ज़रूरत हो सकती है । रा.आ.बैंक ऐसी सुविधा का आकार/प्रमात्रा विनिश्ह्वात कर सकता है और आवास ऋणों के विक्रेता से इस प्रकार की सुविधा पृथक रूप से अथवा उनकी ओर से प्रदान की गई ऋण वृद्धि के साथ में प्रदान करने की अपेक्षा कर सकता है । रा.आ.बैंक ऐसी सुविधा के लिए विक्रेता द्वारा वहन की जाने वाली लागत पर अथवा प्रबंधक ड्ढांह्वो पर निर्भर करते हुए, समूहन (पूल) के नकदी प्रवाह में से बाह्य स्रोत पर विचार कर सकता है ।
बंधक दस्तावेज़ों की अभिरक्षा
द्दाहां बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन से संबंधित बंधक ऋणों अथवा प्राप्य राशियों को विधिक रूप से रा.आ.बैंक/विशेष प्रयोद्दान माध्यम(एसपीवी) न्यास को अंतरित किया जाएगा, वहीं, प्रवर्तक (प्राथमिक ऋणदाता अभिकरण) रा.आ.बैंक के निर्देशों के अनुसार, केवल उससे सभी वसूलियों अथवा
उसके संबंध में कार्रवाई करने के लिए रा.आ.बैंक/एसपीवी न्यास के एक अभिरक्षक की हैसियत से जारी किए गए ऋणों पर यथा प्रतिभूति प्राप्त आवासीय सम्पत्तियों के संबंध में स्वामित्व के दस्तावेज़ वास्तविक रूप में रखना जारी रखेगा । साथ ही, रा.आ.बैंक की ओर से इस प्रकार सूह्वात किये जाने पर, प्रवर्तक, यदि आवश्यक हुआ तो देय राशियों की वसूली के लिए उधारकर्ताओं और/अथवा तीसरे पक्षकारों को नोटिस देगा और प्रतिभूति(यों) को स्वयं अपने नाम में प्रवर्तित करेगा, द्दानका उधारकर्ताओं ने भुगतान नहीं किया है और रा.आ.बैंक की ओर से ऐसा लिखित में सूह्वात किये जाने पर, उसे सभी संबंधित दस्तावेज़, अभिलेख, संविदाएं और यहां से प्रतिभूतियों तथा आवास ऋणों के संबंध में लेखन और पेपरों को अंतरित अथवा सुपुर्द करेगा ।
बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी लिखतों का अभिकल्प (दृज़ाइन)
बंधक ऋण रा.आ.बैंक की ओर से उन्हें उसी दिन अथवा किसी बाद की तारीख में प्रतिभूतकृत करने के अधिकार के साथ खरीदा जाएगा । तथापि, इस बात पर ध्यान नहीं दिए बिना कि क्या प्रस्ताव बंधक ऋण को खरीदने के लिए अथवा ऋण के प्रतिभूतिकरण के लिए है, राष्ट्रीय आवास बैंक, द्दौसा उह्वात समह्लो, किसी प्रकार की अभिनव लिखतों को तैयार (दृज़ाइन) करने और जारी करने के लिए स्वतंत्र है ।
विभिन्न अभिकरणों की नियुक्ति
राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से बंधक ऋणों के प्रतिभूतिकरण की स्थिति में, वह (रा.आ.बैंक) बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी लिखत का ऋण-पात्रता निर्धारण (रेटिंग) एक अथवा अधिक निर्धारण (रेटिंग) अभिकरणों से कराने का, निर्गम और निजी नियोजन पर अथवा सार्वद्दानिक निर्गम आधार पर निर्गम के नियोद्दान से संबंधित सूह्वाना के ज्ञापन की तैयारी के लिए एक अथवा अधिक निर्गम प्रबंधकर्ताओं की सेवाएं लेने, प्रवर्तक (प्राथमिक ऋणदाता अभिकरण) अथवा किसी अन्य अभिकरण के रूप में लेनदेन के अधीन सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता नियुक्त करने (प्रतिभूतिकरण की स्थिति में) पूंजीयक एवं अंतरण अभिकर्ता एवं ऐसे अन्य अभिकरणों, द्दान्हें रा.आ.बैंक योद्दाना के सूचना परिचालनार्थ समुह्वात समह्लो, की सेवाएं लेने का विनिश्ह्वाय कर सकता है ।
राष्ट्रीय आवास बैंक बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी लिखतों को एक अथवा अधिक शेयर बाज़ारों में सूचनाबद्ध कराने और अपने पूर्ण विवेकानुसार किसी एक निक्षेपागार में उन्हें दीमैट्रियलाइद्द़दृ कराने पर विचार कर सकता है ।
प्रतिफल का भुगतान
राष्ट्रीय आवास बैंक (प्रारम्भ से बंधक ऋणों को अपनी लेखा बहियों में रखने अथवा प्रतिभूतिकरण के उ टश्यार्थ बंधक ऋणों की खरीदारी के लिए प्रतिफल का भुगतान, निवेशकों को आबंटन-पत्र जारी करने के बाद अथवा लेनदेन से संबंधित विधिक दस्तावेज़ों निष्पादन के बाद अथवा किसी ऐसी तारीख, द्दास पर विक्रेता और क्रेता के बीह्वा परस्पर सहमति हो गई है पर, करेगा ।
बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण के लिए विशेष प्रयोद्दान
माध्यम (एसपीवी) की स्थापना
आवास ऋणों के प्रतिभूतिकरण की स्थिति में, रा.आ.बैंक योद्दाना के क्रियान्वयन के लिए न्यास(न्यासों) के अथवा किसी अन्य संगख्र्न के रूप में एक अथवा अधिक विशेष प्रयोद्दान माध्यम (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल(एसपीवी) स्थापित कर सकता है ।
निर्गमोत्तर सेवा एवं रिपोर्ट संबंधी अपेक्षाएं
राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से नियुक्त सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता बंधकों के अंतरित समूहन (पूल) में समाहरण के संबंध में मासिक रिपोर्टें और ऐसी अन्य प्रबंध सूह्वाना प्रणाली संबंधी रिपोर्टें समय-समय पर राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा यथाविहित लेखा और परीक्षण शेष का विवरण प्रस्तुत करेगा । रा.आ.बैंक अथवा इस बारे में रा.आ.बैंक की ओर से नियुक्त सनदी लेखाकारों की किसी फर्म को निरीक्षण करने और/अथवा रिपोर्टों एवं विवरणों की परिशुद्धता सत्यापित करने के लिए ऋण लेखा/खाते की लेखापरीक्षा करने का अधिकार होगा ।
समाहरण राशियों के विनियोग का अनुक्रम (भुगतान का क्रम)
भुगतान का अनुक्रम सामान्यतया निम्न प्रकार से होगा :-
<ul>
<li>सेवा प्रदाताओं अर्थात् न्यासी, सेवा अभिकर्ता, पात्रता निर्धारण (रेटिंग) अभिकरण एवं अन्य सेवा प्रदाताओं को भुगतान</li>
<li>आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण के उह्वह्वा वर्ग (‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों) को ब्याद्दा का भुगतान</li>
<li>आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण के उह्वह्वा वर्ग (‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों) को मूलधन का भुगतान</li>
<li>नकदी संपार्श्विक/गारंटी/ऋण वृद्धि के किसी अन्य रूप की पुनर्पूर्ति</li>
<li>गौण आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण (‘ख’वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों) को मूलधन का भुगतान</li>
<li>अधीनस्थ (‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों) को अवशिष्ट आय का भुगतान</li>
</ul>
राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से नियुक्त सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता उधारकर्ताओं से मासिक किस्तें वसूल करने के सभी उपर्युक्त प्रयास करता रहेगा और आवास ऋणों का प्रबंध करना जारी रखेगा और ऐसा समय लगाएगा तथा प्रबंध में ऐसी कुशलता, सावधानी और आवास ऋणों के संबंध में अधिकारों, शक्तियों, विशेषाधिकारों एवं प्रतिभूतियों के प्रवर्तन में तत्परता बरतेगा, द्दौसी उसने तब बरती होती यदि आवास ऋणों में सम्पूर्ण लाभकारी हित उसने रोक रखे हैं और राष्ट्रीय आवास बैंक को सूह्वात करते हुए किसी आवास ऋण करार से संबंधित विनिर्दिष्ट दस्तावेज़ जारी एवं लौटाए थे, यदि एवं केवल यदि, संबंधित उधारकर्ता ने सम्पूर्ण देय राशि का भुगतान कर दिया है ।
सेवा और अदाकर्ता अभिकर्ता उधारकर्ताओं से प्राप्त धन के विनियोग के लिए उन मानक मानदंदों (द्दानका पालन अन्य उधारकर्ताओं के संबंध में किया जारहा है) का पालन करना जारी रखेगा । मानदंदों से विनिर्दिष्ट विपथन के लिए अथवा सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता द्वारा विशेष रूप से दांदृक ब्याद्दा के अधित्याग, ब्याद्दा, पूर्वभुगतानों के व्यवहार, अंतरित हुए मामलों में ऋणों की पुनर्व्यवस्था, ऋणों की स्थिर दरों से परिवर्तनीय दरों में संपरिवर्तन, इत्यादि से संबंधित विवेकाधकार के प्रयोग में क्रेता (रा.आ.बैंक) का विनिर्दिष्ट अथवा सामान्य अनुमोदन लिया जाएगा ।
शुल्क ढांचा
राष्ट्रीय आवास बैंक प्रारम्भिक/द्दोब खर्ह्वा की उस राशि की प्रतिपूर्ति की मांग पर सकता है द्दास पर प्रवर्तक एवं राष्ट्रीय आवास बैंक के बीह्वा परस्पर सहमति हो जाती है । एक विहित दर से न्यासत्व शुल्क, उसको उसकी न्यासी की हैसियत से संदेय होगा । इसके अतिरिक्त, रा.आ.बैंक उतना अतिरिक्त शुल्क उद्ग्रहित कर सकता है द्दातने पर अतिरिक्त सेवाएं देने के लिए रा.आ.बैंक एवं प्रवर्तक के बीह्वा परस्पर सहमति हो जाती है और द्दासकी आवश्यकता प्रवर्तक अथवा सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता को हो सकती है ।
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td colspan=”2″>
<p align=”center”>एकबारगी शुल्क (प्रारम्भिक लागत)</p>
</td>
</tr>
<tr>
<td>निर्गम के प्रबंधकर्ता का शुल्क</td>
<td>वास्तविक शुल्क के अनुसार</td>
</tr>
<tr>
<td>पात्रता निर्धारण (रेटिंग) शुल्क</td>
<td>वास्तविक, जो प्रवर्तक एवं निर्धारण (रेटिंग) अभिकर्ता परस्पर तय करें</td>
</tr>
<tr>
<td>प्रलेखन पर मुद्रांक शुल्क एवं पूंजीकरण प्रभार</td>
<td>वास्तविक के अनुसार (गुद्दारात राद्दय में लगभग 2.00 लाख रुपए + 20,000/-रुपए के लगभग विधिक प्रभार</td>
</tr>
<tr>
<td>(यदि वास्तविक रूप में जारी किए जाएं तब) पास थ्रू प्रमाण-पत्र जारी करने पर मुद्रांक शुल्क एवं पूंजीकरण प्रभार</td>
<td>वास्तविक के अनुसार</td>
</tr>
<tr>
<td>निवेशकों को दीमैट्रियलाइद्द़दृ रूप में जारी किए गए पास थ्रू प्रमाण-पत्र जारी करना</td>
<td>वास्तविक, द्दातना एनएसदीएल ओर सीदीएसएल द्वारा प्रभारित किया जाए । (एनएसदीएल प्रति पास थ्रू प्रमाण-पत्र 10/-रुपए प्रभारित करता है जो कि अधिकतम 500/-रुपए हो सकता है</td>
</tr>
<tr>
<td>सम्यक तत्परता प्रभार</td>
<td>वास्तविक के अनुसार</td>
</tr>
<tr>
<td>(यदि वास्तविक रूप में जारी किए जाएं, तब)पास थ्रू प्रमाण-पत्रों का मुद्रण प्रभार</td>
<td>वास्तविक के अनुसार</td>
</tr>
<tr>
<td colspan=”2″>
<p align=”center”>पास थ्रू प्रमाण-पत्रों के लाभांश (कूपन) के अतिरिक्त) चालू शुल्क</p>
</td>
</tr>
<tr>
<td>सेवा एवं अदाकर्ता का शुल्क (सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता इंदृयन बैंक होने से, यह शुल्क आंध्र बैंक को संदेय है)</td>
<td>मासिक रूप से संदेय बकाया समूहन (पूल) मूल्य का 25% (शुल्क विनिश्ह्वाय इंदृयन बैंक के परामर्श से किया जाना है</td>
</tr>
<tr>
<td>सर्वेक्षण प्रभार निर्धारण(रेटिंग) अभिकरण को संदेय</td>
<td>वास्तविक (जो प्रवर्तक एवं निर्धारण (रेटिंग) अभिकरण द्वारा बातचीत से तय किया जाए)</td>
</tr>
<tr>
<td>न्यासत्व शुल्क</td>
<td>मासिक रूप से संदेय, बकाया समूहन (पूल) मूल्य का 0.05%</td>
</tr>
<tr>
<td>लेखापरीक्षकों का शुल्क</td>
<td>वास्तविक के अनुसार</td>
</tr>
</tbody>
</table>
सभी शर्तें वही होंगी द्दान पर प्रवर्तक एवं राष्ट्रीय आवास बैंक के बीह्वा परस्पर सहमति हो जाती है ।
उपर्युक्त शुल्क का ढांचा तैयार किया जा सकता है द्दाससे कि समूहन (पूल) अवशिष्ट आय में समायोद्दात किया जासके ।
निवेशकों को भुगतान
लाभांश कूपन : ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों को समूहन (पूल) से प्राप्त हुई आय में से प्रत्येक महीने उनकी धारित राशि पर विनिर्दिष्ट लाभांश (कूपन) का भुगतान किया जाता है ।
अवशिष्ट आय :विनिर्दिष्ट भुगतान अनुसूची के अनुसार, सेवा प्रदाताओं को भुगतान करने के बाद शेष रहे नकदी प्रवाह को यथा अवशिष्ट नकदी प्रवाह अभिहित किया जाता है और उसका भुगतान ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों को कर दिया जाता है ।
मूलधन :मूलधन की राशि का भुगतान ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों के लिए पुन: शोधन अनुसूची के अनुसार किया जाता है । ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों का मूलधन एक बार पुन: शोधित हो जाता है, तो इस मूलधन का उपयोग ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों के मूलधन को पुन: शोधित करने में किया जाता है ।
पूर्वभुगतान एवं पूर्वभुगतान प्रभार : इन राशियों का भुगतान प्रत्येक मामले में बकाया मूलधन राशि के अनुसार यथा अनुपात आधार पर ‘क’ वर्ग के तथा ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों को किया जाता है ।
व्यतिक्रम की स्थिति में बंधक प्रवर्तन
बंधकों के एक क्रेता की अपनी हैसियत से अथवा प्रतिभूतिकरण संबंधी किसी लेनदेन के अधीन न्यासी के रूप में, राष्ट्रीय आवास बैंक समूहन (पूल) पर व्यतिक्रम के मामले में बंधकों के प्रवर्तन के लिए सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता के करार के उपबंधों के अधीन प्राथमिक ऋणदाता को सशक्त बना सकता है । बंधकों के प्रवर्तन के लिए संबद्ध लागत उधारकर्ताओं से समाहरित राशि में से पूरी की जाएगी । बंधकों के प्रवर्तन पर प्राप्त हुई कोई भी राशि रा.आ.बैंक को उसके उपयुक्त विनियोग के लिए दे दी जाएगी ।
अन्य मामले
लेनदेन से संबंधित कोई अन्य मामला/मामले द्दानका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, के संबंध में पक्षकारों के बीह्वा परस्पर करार के आधार पर पृथक रूप से कार्रवाई की जाएगी ।
राष्ट्रीय आवास बैंक प्रवर्तकों एवं अन्य प्रतिभागियों को बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन के सभी मामलों में प्रशिक्षण, परामर्श सहायता और दिशा-निर्देश प्रदान करता है ।
<p style=”text-align: center;”><strong>प्रतिभूतिकरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय आवास बैंक का छापा</strong></p>
1. <a name=”b”></a>भारत सरकार के प्रोत्साहन
बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण को सहायता देना भारत सरकार की प्रमुख नीतिगत पहल है द्दौसा कि 1998 में घोषित की गई उसकी राष्ट्रीय आवास एवं पर्यावास नीति में स्पष्ट किया गया है । इस नीति में राष्ट्रीय आवास बैंक को बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण प्रारम्भ करने और देश में एक गौण बंधक बाज़ार के विकास में प्रमुख भूमिका का निर्वाह करने का आदेश दिया है । ऐसे लेनदेन (संव्यवहार) के लिए एक कार्यढांचा बनाने हेतु एक प्रमुख मील का पत्थर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में संशोधन कर रहा है । राष्ट्रीय आवास बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2000, 12 द्दाझन, 2000 से लागू हुआ है द्दासमें अन्य बातों के साथ-साथ, ऐसा लेनदेन (संव्यवहार) करने और विभिन्न रूपों में बंधक समर्थित प्रतिभूतियां जारी करने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से एक विशेष प्रयोद्दान माध्यम (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल -एसपीवी) न्यास गख्र्ति करने की व्यवस्था है ।
2. बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण और गौण बंधक बाज़ार के विकास के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम में समर्थकारी उपबंध
<ul>
<li>कथित अधिनियम की धारा 14(ईए) के अनुसार, राष्ट्रीय आवास बैंक को अनुसूह्वात वाणिद्दियक बैंकों अथवा आवास वित्त संस्थानों से संबंधित बंधक अथवा अह्वाल सम्पत्ति पर प्रभार से प्रतिभूत किसी ऋण अथवा अग्रिम के क्रय, विक्रय अथवा अन्यथा कार्रवाई करने के लिए विशेष रूप से प्राधिकृत किया गया है ।</li>
<li>राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम की धारा 14(ईबी) राष्ट्रीय आवास बैंक को एक अथवा न्यास गख्र्ति करने और ऐसे ऋणों और अग्रिमों को उनके लिए प्रतिभूति के साथ अथवा प्रतिभूति बिना ऐसे न्यास को विचारार्थ अंतरित करने की अनुमति देता है ।</li>
<li>धारा 14(ईसी) के अनुसार, राष्ट्रीय आवास बैंक ऋणों एवं अग्रिमों को र करने और इस प्रकार र किए गए ऋणों एवं अग्रिमों पर आधारित बंधक समर्थित प्रतिभूतियों को ऋण भार, लाभकारी हित के न्यास प्रमाण-पत्रों, अन्य लिखतों, चाहे इन्हें किसी नाम से जाना जाए, को बेह्वाने और ऐसी प्रतिभूति के धारकों के लिए यथा न्यासी कृत्य करने के लिए प्राधिकृत है ।</li>
<li>राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम की धारा 18ए अनुसूह्वात बैंकों एवं आवास वित्त संस्थानों की ओर से प्रदत्त ऋणों को प्रतिभूतिकृत करने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के अंतरण की सुविधा देती है । यह सुविधा राष्ट्रीय आवास बैंक प्रतिभूतियों के निर्गम और निवेशकों द्वारा उनके अंतरण, दोनों समय अनिवार्य पंजींकरण के बिना दी जाती है ।</li>
<li>इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी की गई प्रतिभूतियों में निवेशकों के मन में विश्वास बैख्रने के लिए अथवा अन्यथा ऋणों के प्रतिभूतिकरण से संबंधित लेनदेन में एक न्यासी के रूप में कृत्य करते हुए, बैंक को राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम की धारा 18बी के अनुसार भू-राद्दास्व के बकाया के रूप में देय राशियों को वसूलने के लिए प्राधिकृत किया गया है ।</li>
</ul>
पुरोबंध की तीव्रतर प्रक्रिया
<ul>
<li>एक तीव्रतर पुरोबंध प्रक्रिया लागू करने की व्यवस्था के लिए, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम में एक नया अध्याय 5ए अदा गया है । इस अध्याय में अनुमोदित संस्थानों में वसूली अधिकारियों की नियुक्ति और व्यतिक्रमी उधारकर्ताओं से आवास ऋण की देय राशियों की वसूली के लिए क्रियाविधि की व्यवस्था है । अध्याय में वसूली अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपील सुनने के लिए अपील अधिकरण स्थापित करने का प्रस्ताव भी है ।</li>
<li>अनुसूह्वात बैंकों के व्यतिक्रमी उधारकर्ताओं की देय राशियें को भी रा.आ.बाक अधिनियम के अध्याय Vए में वसूली प्रक्रिया के उ टश्य से शामिल किया गया है । इसके अतिरिक्त, रा.आ.बैंक अधिनियम की धारा 36सी के अनुसार, अनुसूह्वात बैंकों को यथा अनुमोदित संस्थान परिभाषित किया गया है द्दासका निहितार्थ यह है कि अनुसूह्वात बैंकों के अधिकारीगण भी वसूली अधिकारियों के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए पात्र होंगे ।</li>
</ul>
3. राष्ट्रीय आवास बैंक की भूमिका
प्रतिभूतिकरण सापेक्ष रूप से भारतीय बाज़ार में एक नई संकल्पना है । प्रतिभूतिकरण का उद्गम 1991 में देखा जा सकता है, द्दाब भारत में पहले सौदे का ढांचा तैयार हुआ था । तभी से स्वचालित (ऑटो) ऋणों, क्रेदृट कार्दृ और विभिन्न संगख्र्नों की अन्य प्राप्य राशियों में पृथक सौदे (दील्स) हो ह्वाजके हैं । भारतीय बाज़ार की संभाव्यता समह्लाते हुए यह वृद्धि साधारण है । प्रतिभूतियों में सभी निवेशक संस्थागत व्यापारी रहे हैं और लगभग सभी प्रतिभूतिकृत ऋण समूहन (पूल) निजी रूप से एकल निवेशकों के पास रखे गए हैं द्दान्हेंने उन्हें परिपक्वता तक रखा है । इन लिखतों में गौण व्यापार अभी तक शुरू नहीं हुआ है ।
बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण के क्षेत्र में, रा.आ.बैंक ने अगस्त, 2000 में आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के प्रमुख निर्गम बाज़ार में उतारे थे । तभी से बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की ओर आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के अन्य निर्गम हो ह्वाजके हैं । राष्ट्रीय आवास बैंक अब आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के दस निर्गम जारी कर ह्वाजका है, द्दानमें ऋण की कुल राशि 665 करोद़ृ रुपए थी । रा.आ.बैंक आगे ह्वालकर समर्थन करने योग्य आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूति बाज़ार बनाने के लिए प्रणालियों के विकास और संस्थान स्थापित करने के प्रति कार्य करता रहा है । इस प्रक्रिया में, रा.आ.बैंक के प्रयास बाज़ार के भागीदारों को आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिपरक उत्पादों की पर्याप्त समह्लादारी प्रदान करने और निर्गमों, जोखिमों और आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूति लिखतों के साथ सहयोद्दात प्रसुविधाओं के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा करने के प्रति और क्रमिक रूप से निवेशक आधार, जो कि देश में एक सफल गौण बंधक के लिए अनिवार्य हैं, को व्यापक बनाने के प्रति निर्देशित हैं । इसके अतिरिक्त, बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण के लागू किए जाने से भारत में एक दीर्घावधि ऋण बाज़ार के विकास में और इस प्रकार, भारतीय वित्त एवं पूंजी बाज़ार के क्रम विकास में भी सहायता मिलेगी ।
भारत में गौण बंधक बाज़ार का विकास अधिकांश रूप से एक समर्थनीय प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन-तंत्र पर निर्भर करेगा, यह समह्लाते हुए राष्ट्रीय आवास बैंक का प्रयास बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण से संबंधित विषयों के समाधान और वर्तमान विधिक एवं विनियामक कार्यढांचा के भीतर उपयुक्त प्रतिभूतिकरण लेनदेन
संबंधी ढांचो का क्रमिक विकास करना और इसी के साथ लेनदेन को सरल और अर्थक्षम बनाने का रहा है द्दाससे कि उत्पाद बाज़ार में स्वीकार किए जा सकें ।
4. आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण संबंधी विषयों में
<a name=”rab”></a>राष्ट्रीय आवास बैंक का अनुभव
भारत में गौण बंधक बाज़ार का विकास अधिकांश रूप से एक समर्थनीय प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन तंत्र पर निर्भर करेगा- इस बात को समह्लाते हुए, राष्ट्रीय आवास बैंक का प्रयास बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण से संबंधित विषयों और वर्तमान विधिक एवं विनियामक कार्यढांचा के भीतर प्रतिभूतिकरण के लेनदेन से संबंधित उपयुक्त ढांचा का क्रमिक विकास करने और इसी के साथ लेनदेन को सरल एवं अर्थक्षम बनाने का रहा है द्दाससे कि उत्पाद बाज़ार में स्वीकार किए जाते हैं ।
राष्ट्रीय आवास बैंक ने अगस्त, 2002 में भारतीय पूंजीबाज़ार में अपना सर्वप्रथम बंधक समर्थित प्रतिभूतियों का निर्गम सफलतापूर्वक उतारा ।
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>क्र.सं.</td>
<td>एसपीवी</td>
<td colspan=”2″>
<p align=”center”>निर्गम की तारीख</p>
</td>
<td colspan=”2″>
<p align=”center”>समूहन (पूल) का आकार</p>
</td>
<td>निर्गम की राशि (करोद़ृ रुपए में)</td>
<td>एमबीएस मूल्यन ढांचाप्रीमियम/पार दृस्काउंट</td>
<td>एमबीएस लाभांश कूपन</td>
<td>ऋण वृद्धि</td>
<td>पात्रता निर्धारण (रेटिंग)/एद्दांटसी का नाम</td>
</tr>
<tr>
<td></td>
<td></td>
<td>निर्गम खुलने की तारीख</td>
<td>निर्गम बंद होने की तारीख</td>
<td>ऋणों की सं.</td>
<td>बकाया मूलधन करोद़ृ रुपए में</td>
<td></td>
<td></td>
<td></td>
<td></td>
<td></td>
</tr>
<tr>
<td>1.</td>
<td>एनएचबीएसपीवी न्यास (एह्वापी1)</td>
<td>22 अगस्त,00</td>
<td>29 अगस्त,00</td>
<td>8329</td>
<td>88.32</td>
<td>59.7</td>
<td>पार</td>
<td>11.85% वार्षिक</td>
<td>ए-बी 1.10 करोद़ृ रुपए की गारंटी एवं ढांचा</td>
<td>क्रिसिल द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>2.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी न्यास (एलपी1)</td>
<td>22 अगस्त,00</td>
<td>29 अगस्त,00</td>
<td>2777</td>
<td>47.54</td>
<td>43.84</td>
<td>पार</td>
<td>11.85% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>क्रिसिल द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>3.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (एलपी2)</td>
<td>23 अप्रैल,01</td>
<td>11 मई, 01</td>
<td>4292</td>
<td>74.22</td>
<td>46.84</td>
<td>पार</td>
<td>10.25% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>क्रिसिल द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>4.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (सीपी1)</td>
<td>23 अप्रैल,01</td>
<td>11 मई, 01</td>
<td>4257</td>
<td>63.4</td>
<td>44.85</td>
<td>पार</td>
<td>10.25% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>क्रिसिल द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>5.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (सीपी2)</td>
<td>12 जुन, 02</td>
<td>28 जुन, 02</td>
<td>4256</td>
<td>85.35</td>
<td>58.19</td>
<td>पार</td>
<td>8.90% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>आईसीआरए द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>6.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (बीपी.1)</td>
<td>21 अप्रैल, 03</td>
<td>29 अप्रैल, 03</td>
<td>3548</td>
<td>77.16</td>
<td>59.65</td>
<td>पार</td>
<td>6.89% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>आईसीआरए द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>7.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (सीपी3)</td>
<td>24जुन, 03</td>
<td>2 जुलाई,03</td>
<td>2007</td>
<td>64.13</td>
<td>54.45</td>
<td>पार</td>
<td>6.25% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>आईसीआरए द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>8.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (दीपी1)</td>
<td>5 मार्च,04</td>
<td>5 मार्च,04</td>
<td>3155</td>
<td>69.79</td>
<td>61.83</td>
<td>पार</td>
<td>6.98% वार्षिक</td>
<td>ए-बी ढांचा एवं लिमिटेदृ बैंक गारंटी</td>
<td>फिह्वा एंदृ केयर द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td>9.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी (एबी-1)</td>
<td>18 मार्च,04</td>
<td>22 मार्च,04</td>
<td>1437</td>
<td>50.36</td>
<td>42.95</td>
<td>पार</td>
<td>6.15% वार्षिक</td>
<td>‡-बी रूपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>क्रिसिल द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>10.</td>
<td>एनएचबी
एसपीवी(बीएह्वा-1)</td>
<td>19 मार्ह्वा, 04</td>
<td>19 मार्च, 04</td>
<td>1058</td>
<td>43.14</td>
<td>43.14</td>
<td>प्रीमियम निर्धारण सहित पार</td>
<td>6.6% वार्षिक</td>
<td>ए-बी रुपए की समपार्श्विक नकदी एवं ढांचा</td>
<td>आईसीआरए द्वारा एएए(एसओ)</td>
</tr>
<tr>
<td valign=”top”></td>
<td colspan=”10″>उप-योग (एनएह्वाबी एसपीवी न्यास) 35116 664.43 515.44</td>
</tr>
</tbody>
</table>
रा.आ.बैंक के बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण का संस्थागत ढांचा
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>i. प्रवर्तक</td>
<td>आवास वित्त कंपनी/बैंक</td>
</tr>
<tr>
<td>ii. विशेष प्रयोद्दान माध्यम (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (एसपीवी)</td>
<td>रा.आ.बैंक वि.प्र.मा. एसपीवी न्यास</td>
</tr>
<tr>
<td>iii. न्यासी</td>
<td>राष्ट्रीय आवास बैंक</td>
</tr>
<tr>
<td>iv. निर्गमकर्ता</td>
<td>रा.आ.बैंक, वि.प्र.मा. (एसपीवी) न्यास</td>
</tr>
<tr>
<td>v. सेवाकर्ता (सर्विसर) (भुगतान)</td>
<td>आवास वित्त कंपनी/बैंक</td>
</tr>
<tr>
<td>vi. ऋण संचालक (दस्तावेज़ों की अभिरक्षा, एकत्र करना, वसूली प्रबंधन/प्रवर्तन</td>
<td>आवास वित्त कंपनी/बैंक</td>
</tr>
<tr>
<td>vii. वित्तीय/ढांचागत/विधिक दस्तावेज़</td>
<td>रा.आ.बैंक</td>
</tr>
<tr>
<td>viii. निर्गम के प्रबंधकर्ता</td>
<td>मर्ह्वोन्ट बैंककारी संस्थान</td>
</tr>
<tr>
<td>ix. सम्यक तत्पर लेखापरीक्षक</td>
<td>आवास वित्त कंपनियों/बैंकों के सांविधिक लेखापरीक्षक</td>
</tr>
<tr>
<td>x. निक्षेपागार</td>
<td>राष्ट्रीय प्रतिभूति निक्षेपागार लिमिटेदृ</td>
</tr>
<tr>
<td>xi. पूंजीयक एवं अंतरण अभिकर्ता</td>
<td>राष्ट्रीय आवास बैंक/बीटल फाइनेंशियल सर्विसेज़ लिमिटेदृ</td>
</tr>
</tbody>
</table>
उपर्युक्त सभी निर्गमों में बीमा कंपनियों, म्युह्वाजअल फंदों, वित्तीय संस्थानों और वाणिद्दियक बैंकों सहित संस्थागत निवेशकों द्वारा पूर्ण अभिदान किया गया था । राष्ट्रीय आवास बैंक के उपर्युक्त प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन में आवास वित्त कंपनियों की ओर से रा.आ.बैंक को खुदरा आवास ऋणों का समनुदेशन संबद्ध है । समकृत मासिक किस्तों में पुनर्संदेय ऋणों को पैकेद्दाबद्ध किया जाता है और निर्गमकर्ता तथा न्यासी के रूप में कृत्य करते हुए, रा.आ.बैंक द्वारा यथा पास थ्रू प्रमाण-पत्र निवेशकों को दे दिए जाते हैं ।ऐसे आवास ऋण, जो प्रतिभूतिकृत किया जाने के लिए प्राप्य राशियां होते हैं, वे रा.आ.बैंक द्वारा घोषित किसी न्यास की प्रकृति में एक विशेष प्रयोद्दान माध्यम (स्पेशल पर्पज़ व्हीकल – एसपीवी) में रखे जाते हैं । पास थ्रू प्रमाण-पत्र न्यास प्रमाण-पत्रों की प्रकृति में होते हैं और आवास ऋणों के समूहन (पूल) में यथा अनुपात अविभाद्दात लाभकारी हित के द्योतक हैं ।
रा.आ.बैंक अपनी कॉरपोरेट हैसियत में और इसी प्रकार एसपीवी न्यास के एकमात्र न्यासी की हैसियत में, ‘क’ वर्ग के तथा ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों को जारी करता है । द्दाहां ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र निवेशकों को आबंटित किए गए हैं, वहीं ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों में पूर्णत: निवेशकों ने अभिदान किया है । ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों से गौण होते हैं और ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र धारकों के लिए ऋण वञिद्ध के रूप में कृत्य करते हैं । रा.आ.बैंक के बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के उपर्युक्त निर्गमों के ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों को एएए(एसओ) निर्धारण (रेटिंग) मिला है ।
द्दाहां बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के प्रमुख निर्गम को बाज़ार में उतारना वास्तव में एक ऐतिहासिक घटना रही है, वहीं, रा.आ.बैंक आगे ह्वाल कर बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण बाज़ार को समर्थनीय बनाने के लिए प्रणालियों के विकास और संस्थान बनाने के प्रति कार्य करता रहा है । इस प्रक्रिया में, रा.आ.बैंक के प्रयास बंधक समर्थित प्रतिभूतिपरक उत्पादों की पर्याप्त समह्ला बाज़ार के भागीदारों को प्रदान करने और निर्गमों,
बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण की लिखतों के साथ सहयोद्दात जोखिम और प्रसुविधाओं के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा करने और इसी प्रकार निवेशक आधार, जो देश में एक सफल गौण बंधक बाज़ार के लिए अनिवार्य है, को व्यापक बनाने के प्रति निर्देशित हैं ।
इसके अतिरिक्त, बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण से भारत में एक दीर्घावधि ऋण बाज़ार के विकास में सहायता मिलेगी । बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के विभिन्न वर्गों से जोखिम संबंधी विवरण (रिस्क रिटर्न प्रोफाइल) ह्वालनिधि, परिपक्वता, प्रतिफल, इत्यादि के अनुसार संभावित निवेशकों को ह्वाजनाव करने के अवसर मिलेंगे और नए निवेशकों को पूंजी बाज़ार की ओर आकर्षित करने में सहायता मिलेगी । बंधक समर्थित प्रतिभूतिकरण द्दौसी वित्तीय नवीनताएं भारतीय वित्त एवं पूंजी बाज़ार के क्रमिक विकास में एक प्रमुख विषय होगा ।
प्रतिभूतिकरण के लाभ
प्रतिभूतिकरण : लाभ
सहायक राद्दाकोषीय उपाय और भारतीय रिज़र्व बैंक की नीतियों ने देश में विशेषीकृत बंधक वित्त के लिए एक व्यवस्थित कार्यढांचा स्थापित किया है और यह पिछले कुछेक वर्षों में 28% से अधिक की तीव्र वृद्धि का साक्षी रहा है । हाल ही के विगत में, क्षेत्रीय विकास के लिए संसाधनों के एक केन्द्रीय समूहन (पूल) के रूप में उभरते पूंजी बाज़ार से, प्रतिभूतिकरण न केवल अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ारों के अतिरिक्त, स्वदेशी आवास बाज़ार को जोडने की संभावना के साथ एक अर्थक्षम एवं समर्थनीय बाज़ारोन्मुख स्रोततंत्र प्रदान करता है, अपितु विशेषज्ञताओं की एक श्ञंखला भी लाता है द्दासके परिणामस्वरूप उत्कृष्ट एवं लागत प्रभावी ड्ढांह्वो एवं व्यवहार संभव हैं ।
<ul>
<li>जोखिम भारित परिसम्पत्तियों के अंतरण के माध्यम से पूंजी पर्याप्तता अनुपात सुधरता है ।</li>
<li>आस्ति देयता प्रबंध में सहायक होता है और आवास क्षेत्र में विकास के लिए दीर्घावधि स्रोत में सहायता करता है ।</li>
<li>प्रबंधन का बेहतर विस्तार कर सकता है और आस्तियों पर प्रतिफल तथा साम्यपूंजी (इक्विटी) पर प्रतिफल को समुन्नत करने में सुविधा देता है ।</li>
<li>शुल्क आधारित आय के नए स्रोत बनाता है ।</li>
</ul>
प्रतिभूतिकरण के योग्य गृह ऋणों के लिए ग्राह्यता मानदंदृ
गृह ऋणों को प्रतिभूतिकरण के लिए प्रदत्त बंधक, समूहन (पूल) में ह्वायनार्थ विचार किए जाने के लिए निम्नलिखित मानकों को पूरा करना चाहिए :-
(i) उधारकर्ता अलग-अलग होने चाहिए
(ii) गृह ऋण ह्वायन/प्रतिभूतिकरण के समय चालू होने चाहिए
(iii) गृह ऋण की (ऋण स्थगन अवधि को छोद़ृकर) न्यूनतम अवधि 12 महीने की होनी चाहिए
(iv) अधिकतम ऋण से मूल्य (एलटीवी) अनुज्ञेय अनुपात 85% है । 85% से अधिक के ऋण से मूल्य (एलटीवी) अनुपात सहित मूलत: संस्वीकृत आवास ऋण, किन्तु द्दाहां वर्तमान बकाया प्रतिभूति के मूल्य के 85% के भीतर होता है, ग्राह्य होगा ।
(v) सकल आय अनुपात के लिए (समकृत मासिक किस्त की) अधिकतम अनुज्ञेय किस्त 45% है ।
(vi) ऋण पर किसी भी समय ऋण की सम्पूर्ण अवधि में तीन महीने से अधिक के लिए अतिदेय बकाया नहीं होना चाहिए
(vii) ऋण राशि के बकाया मूलधन की प्रमात्रा 0.50 लाख रुपए से लेकर 100 लाख रुपए तक होनी चाहिए ।
(viii) आवास ऋणों के समूहन (पूल) में स्थिर और/अथवा परिवर्तनीय ब्याद्दा दर होती है ।
(ix) उधारकर्ताओं का केवल एक ऋण अनुबंध प्राथमिक ऋणदाता संस्थान के साथ होना चाहिए।
(x) ऋणों को ह्वायन/प्रतिभूतिकरण की तारीख को किसी भी विलंगम/प्रभार से मुक्त होना चाहिए । इस मानदंदृ का एक मात्र अपवाद रा.आ.बैंक की ओर से वित्तपोषित ऋण हैं । (ऐसे मामलों में, ऋणों को प्रतिभूतिकृत किया जा सकता है, किन्तु यह तब, द्दाबकि प्रवर्तक रा.आ.बैंक की पुनर्वित्त योद्दाना के उपबंधों के अनुकूल अन्य ग्राह्य आवास ऋणों से प्रतिस्थापित करें) ।
(xi) प्रत्येक वैयक्तिक आवास ऋण में ऋण करार, विधिवत् रूप से निष्पादित किया जाना चाहिए और उसके संबंध में उधारकर्ता की ओर से प्राथमिक ऋणदाता संस्थान के पक्ष में विधिवत् रूप से प्रदत्त प्रतिभूति एवं सभी दस्तावेज़ विधिक रूप से विधिमान्य और उसकी शर्तों के अनुसार प्रवर्तनीय होने चाहिए।
(xii) बैंक/आवास वित्त कंपनी, प्रत्येक आवास ऋण के लिए ऐसे आवास ऋण को प्रतिभूत करने के लिए भूमि/भवन/आवासीय इकाई में विधिमान्य एवं प्रवर्तनीय बंधक रखता है और रा.आ.बैंक उसे समनुदेशित तथा अंतरित करने का पूर्ण एवं एकमात्र अधिकार रखता है ।
31.12.2003 तक आवासीय बंधक समर्थित प्रतिभूतियों के समूहन (पूल) का निष्पादन
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td></td>
<td>आवास विकास एवं वित्त निगम समूहन (पूल) एह्वापी-1</td>
<td>एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लि. समूहन (पूल) एलपी-1</td>
<td>एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लि. समूहन (पूल) एलपी-2</td>
<td>कैनफिन होम्स लि. समूहन (पूल) सीपी-1</td>
<td>कैनफिन होम्स लि. समूहन (पूल) सीपी-2</td>
<td>बॉब हाउसिंग फाइनेंस लि. समूहन (पूल) बीपी-1</td>
<td>कैनफिन होम्स लि. समूहन (पूल) सीपी-3</td>
</tr>
<tr>
<td>(निर्गम के समय समूहन (पूल) की विशेषताएं
<ol>
<li>- समूहन (पूल) की आकार राशि</li>
<li>- ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों की राशि</li>
<li>- पास थ्रू प्रमाण-पत्रों का लाभांश (कूपन) (% वार्षिक)</li>
<li>- औसत परिपक्वता (वर्ष)</li>
<li>- निर्गम का महीना</li>
<li>- निर्गम पर ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्र की परिपक्वता की तारीख</li>
</ol>
</td>
<td>88.32
59.7
11.85%
3.91
अगस्त,00
अगस्त, 07</td>
<td>47.54
43.84
11.85%
3.64
अगस्त,00
अगस्त, 07</td>
<td>74.22
46.84
10.25%
3.90
द्दाझन, 01
अप्रैल, 08</td>
<td>63.40
44.84
10.25%
3.42
द्दाझन, 01
अप्रैल, 08</td>
<td>85.35
58.19
8.90%
3.53
मई, 02
मई, 09</td>
<td>77.15
59.65
6.89%
4.58
अप्रैल, 03
मई, 12</td>
<td>64.13
54.45
6.25%
4.41
द्दाझन, 03
मार्ह्वा, 12</td>
</tr>
</tbody>
</table>
(समूहन (पूल) का निष्पादन यथा 31 दिसम्बर, 2003 की सूह्वाना)
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>I. समूहन (पूल) का कुल समाहरण</td>
<td>101.53</td>
<td>56.62</td>
<td>80.79</td>
<td>50.03</td>
<td>43.66</td>
<td>12.66</td>
<td>11.71</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>II. किया गया कुल भुगतान
क. ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों के लिए भुगतान
<ol>
<li>- मूलधन (अनुसूह्वात)</li>
<li>- ब्याद्दा</li>
<li>- पूर्वभुगतान</li>
<li>- पूर्वभुगतान संबंधी दंदृ</li>
</ol>
ख. सेवाओं के लिए किया गया भुगतान
<ol>
<li>- न्यासी (रा.आ.बैंक)</li>
<li>- सेवा एवं अदाकर्ता अभिकर्ता</li>
<li>- निर्धारण (रेटिंग) अभिकरण</li>
</ol>
ग. ‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों के लिए किया गया भुगतान
<ol>
<li>- पूर्वभुगतान</li>
<li>- पूर्वभुगतान संबंधी दंदृ</li>
<li>- अवशिष्ट आय</li>
<li>- किया गया कुल भुगतान (क+ख+ग)</li>
</ol>
</td>
<td>12.05
11.11
42.59
0.220.15
0.36
0.0324.61
0.12
10.29
101.53</td>
<td>11.28
8.47
29.14
0.130.20
0.07
0.023.15
0.01
4.15
56.62</td>
<td>8.17
5.67
35.12
0.100.24
0.10
0.0124.10
0.07
7.21
80.79</td>
<td>14.55
7.33
15.02
0.160.27
0.11
0.017.45
0.08
5.05
50.03</td>
<td>10.63
5.73
13.09
0.130.25
0.09
0.006.72
0.06
6.96
43.66</td>
<td>6.02
2.24
2.66
0.030.14
0.01
0.000.82
0.01
0.73
12.66</td>
<td>2.57
1.31
5.31
0.000.07
0.01
0.000.92
0.00
1.52
11.71</td>
</tr>
<tr>
<td>III. समूहन (पूल) का बकाया शेष
<ol>
<li>- ‘क’ वर्ग का बकाया</li>
<li>- ‘ख’ वर्ग का बकाया</li>
</ol>
</td>
<td>9.72
5.47
4.25</td>
<td>5.75
5.03
0.72</td>
<td>7.12
3.73
3.39</td>
<td>27.20
15.95
11.25</td>
<td>56.36
35.58
20.78</td>
<td>71.17
54.10
17.07</td>
<td>56.52
47.68
8.84</td>
</tr>
</tbody>
</table>
<table class=”table table-striped”>
<tbody>
<tr>
<td>IV. प्रतिभूति शामिल करना
<ol>
<li>- अवशिष्ट नकदी प्रवाह का अनुपात</li>
<li>- नकदी संपार्श्विक/गारंटी</li>
<li>- नकदी संपार्श्विक कोई निष्कास अथवा गारंटी का अवलंबन लेना</li>
</ol>
V. समूहन (पूल) का औसत प्रतिफल (% वार्षिक)
<ol>
<li>- ‘क’वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों का औसत प्रतिफल (%वार्षिक)</li>
</ol>
‘ख’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों का औसत प्रतिफल (% वार्षिक)</td>
<td>34.49%
1.1(गारंटी)
नहीं
16.18%12.52%21.12%</td>
<td>12.91%
1.72नहीं
19.10%15.48%50.79%</td>
<td>9.01%
0.86नहीं
14.39%10.12%19.43%</td>
<td>25.14%
0.76नहीं
12.45%10.53%14.84%</td>
<td>31.47%
0.77नहीं
13.17%9.10%20.31%</td>
<td>12.32%
0.87नहीं
8.85%8.35%12.88%</td>
<td>20.84%
0.39नहीं
11.52%6.21%39.07%</td>
</tr>
<tr>
<td>VI. प्रतिमाह पूर्वभुगतान की औसत दर(बकाया मूलधन का %)</td>
<td>5.27%</td>
<td>2.72%</td>
<td>3.84%</td>
<td>1.67%</td>
<td>1.65%</td>
<td>0.89%</td>
<td>2.07%</td>
</tr>
<tr>
<td>VII. ‘क’ वर्ग के पास थ्रू प्रमाण-पत्रों में रा.आ.बैंक का निवेश
<ol>
<li>- निर्गम के समय</li>
<li>- चालू बकाया</li>
</ol>
</td>
<td>-
-</td>
<td>-
-</td>
<td>-
-</td>
<td>-
-</td>
<td>-
-</td>
<td>-
-</td>
<td>2.97
2.62</td>
</tr>
</tbody>
</table>
</div>