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शहरी अवसरंचना विकास निधि

शहरी अवसरंचना विकास निधि

Announcement

परिचय

माननीय वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपने बजट भाषण में अमृत काल की परिकल्पना प्रस्तुत की और एक सशक्त एवं समावेशी अर्थव्यवस्था के लिए केंद्रीय बजट ‘सप्तर्षि’ की सात प्राथमिकताओं पर जोर दिया।

इस पृष्ठभूमि में, प्राथमिकता क्षेत्र ऋण कमी के माध्यम से स्थापित एक नवीन निधि अर्थात शहरी अवसरंचना विकास निधि (यूआईडीएफ) के लिए मंच तैयार किया गया था और इसका उपयोग सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा टियर 2 और टियर 3 शहरों में शहरी अवसरंचना विकास निधि के निर्माण के लिए किया जाना है।

इस निधि का प्रबंधन राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा किया जाएगा और इसे 10,000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक कोष के साथ संचालित किया जा रहा है।

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उद्देश्य

यूआईडीएफ का उद्देश्य टियर 2 और टियर 3 शहरों में सार्वजनिक/राज्य एजेंसियों, नगर निगमों, शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से कार्यान्वित शहरी बुनियादी ढांचे के विकास कार्यों के लिए राज्य सरकारों के प्रयासों को वित्तपोषण का एक स्थिर और अनुमानित स्रोत प्रदान करना है।

यह संसाधनों और विशेषज्ञता को एकत्रित करने की अनुमति देता है, जिससे व्यापक अवसरंचना के समाधान तैयार किए जा सकते हैं जो प्रत्येक शहरी क्षेत्र की विशेष जरूरतों को पूरा करते हैं।

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लक्षित शहर

विषम क्षेत्रीय विकास की समस्या का समाधान करने के लिए, यूआईडीएफ नवीनतम जनगणना आंकड़ों के अनुसार 50,000 से 9,99,999 की आबादी वाले शहरों/शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो लगभग 40% शहरी आबादी को कवर करता है।

  1. क) टियर 2 शहर – नवीनतम जनगणना आंकड़ों के अनुसार 1 लाख से 9,99,999 के बीच आबादी वाले 459 कस्बे
  2. ख) टियर 3 शहर – नवीनतम जनगणना आंकड़ों (वर्तमान 2011) के अनुसार 50,000 से 99,999 के बीच आबादी वाले 580 कस्बे

इस प्रकार, यूआईडीएफ क्षेत्रीय आर्थिक केंद्रों के रूप में विकसित होने की क्षमता वाले मध्यम आकार के शहरों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि महानगरीय और मेगा सिटीज को इसके दायरे से बाहर रखेगा।

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पात्र गतिविधियाँ

यूआईडीएफ के लिए पात्र गतिविधियां आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) के मिशनों और कार्यक्रमों से जुड़ी होंगी। इनमें गंदे नालो और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल आपूर्ति और स्वच्छता इत्यादि जैसी मूलभूत सेवाओं पर ध्यान दिया जा सकता हैं। प्रभावोन्मुख परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा सकती है।

कुछ पात्र गतिविधियों की सूची इस प्रकार है:

  • जल आपूर्ति एवं स्वच्छता
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
  • सड़कों का निर्माण (रखरखाव कार्यों को छोड़कर), ओवर ब्रिज, ग्रेड सेपरेटर, अंडरपास
  • व्यापक क्षेत्र विकास परियोजनाएँ
  • भीड़-भाड़ कम करने के लिए स्थानीय क्षेत्र योजना
  • विरासत संरक्षण
  • ग्रीनफील्ड विकास के लिए नगर नियोजन योजनाएं
  • खुले जिम वाले पार्क जिनमें कोई बड़ा निर्माण कार्य आदि शामिल न हो।

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नियम और शर्तें

पात्र ऋण राशि:

यूआईडीएफ के तहत वित्तपोषण के लिए पात्र ऋण राशि, परियोजना के आकार और भौगोलिक स्थिति पर आधारित होगी। यूआईडीएफ के तहत विभिन्न परियोजनाओं के लिए विचार की जा सकने वाली परियोजना लागत का प्रतिशत निम्नानुसार होगा:

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क). परियोजनाओं की क्लबिंग

राज्य सरकारें एकल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में छोटी परियोजना को शामिल कर सकती हैं। डीपीआर का न्यूनतम एवं अधिकतम आकार क्रमशः 5 करोड़ रुपये (उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों के लिए 1 करोड़ रुपये) और 100 करोड़ रुपये होगा।

ब्याज दर:

बैंक दर (बैंकों द्वारा धनराशि जमा करने की तिथि के अनुसार) – 1.5%

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प्रक्रिया प्रवाह

आवंटन

रा.आ.बैंक ने यूआईडीएफ दिशानिर्देशों के साथ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को मानक आवंटन के बारे में सूचित किया है। बैंक ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से सितंबर 2023 तक मानक आवंटन के आधार पर अपने प्रस्ताव उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया है।

राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनिक अनुमोदन के साथ संबंधित राज्य स्तरीय तकनीकी समिति/उच्च स्तरीय संचालन समिति के अनुमोदन से यूआईडीएफ के तहत पात्र परियोजनाओं की सूची को एकत्रित और प्राथमिकता देंगे।

आवेदन

यूआईडीएफ के एक ट्रांच के अंतर्गत राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा प्राथमिकता प्राप्त परियोजनाओं में नई और चल रही दोनों परियोजनाएं शामिल हो सकती हैं।

नई और चालू दोनों परियोजनाओं के मामले में, जहां डीपीआर उपलब्ध है, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रारूप के अनुसार डीपीआर जांच सूची प्रस्तुत करेंगे और यूआईडीएफ पोर्टल पर संबंधित दस्तावेज अपलोड करेंगे, जबकि नई परियोजनाओं के मामले में, जिनके लिए डीपीआर अभी तक तैयार नहीं हुई है, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश प्रारूप के अनुसार डीपीआर जांच सूची प्रस्तुत करेंगे और संबंधित दस्तावेज यूआईडीएफ पोर्टल पर अपलोड करेंगे। केंद्रशासित प्रदेश पोर्टल पर परियोजना सारांश प्रस्तुत कर सकते हैं।

संस्वीकृती

संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को संस्वीकृत पत्र (सैद्धांतिक अनुमोदन सहित) रा.आ.बैंक द्वारा जारी किए जाएंगे।

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश संबंधित वित्त सचिवों द्वारा संस्वीकृती के नियमों और शर्तों की विधिवत हस्ताक्षरित स्वीकृति प्रस्तुत करेंगे।

संवितरण

राज्य सरकारें निर्धारित औपचारिकताओं को संतोषजनक ढंग से पूरा करने के बाद आवश्यक दस्तावेजों और उपक्रमों के साथ यूआईडीएफ पोर्टल पर रा.आ.बैंक को निर्धारित प्रारूप में संवितरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करेंगी।

परियोजना ऋण की प्रारंभिक 20% राशि का मोबिलाइजेशन अग्रिम मंजूरी पत्र के नियमों एवं शर्तों को स्वीकार करने पर मंजूरी की तारीख से 1 वर्ष के भीतर संवितरित किया जाएगा। उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्य मोबिलाइजेशन अग्रिम के रूप में 30% ऋण के लिए पात्र होंगे।

रा.आ.बैंक मोबिलाइजेशन अग्रिम के रूप में दिए गए परियोजना ऋण के शुरुआती 20% (उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों के मामले में 30%) को छोड़कर ‘प्रतिपूर्ति आधार’ पर निधि प्रदान करेगा।

पुनर्भुगतान

ऋण की अदायगी रा.आ.बैंक को निकासी की तारीख से सात साल के भीतर पांच समान वार्षिक किस्तों में की जाएगी, जिसमें दो साल की अधिस्थगन अवधि भी शामिल है, जबकि ब्याज का भुगतान प्रत्येक तिमाही के अंत में किया जाएगा।

निगरानी

राज्य सरकारों के पास यूआईडीएफ के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की निगरानी के लिए अपना स्वयं का तंत्र होगा, जिसमें परियोजना कार्यान्वयन प्रगति रिपोर्ट (पीआईपीआर) को रा.आ.बैंक को समय-समय पर प्रस्तुत करना भी शामिल है।

राज्य सरकार परियोजना के संबंध में भौतिक कार्य पूरा होने पर तुरंत रा.आ.बैंक को एक परियोजना समापन प्रमाणपत्र (पीसीसी) प्रस्तुत करेगी, जिसके प्राप्त होने पर परियोजना को पूरा माना जाएगा।

राज्य सरकार निर्धारित प्रारूप में पीसीसी की तारीख से 6 महीने के भीतर एक विस्तृत परियोजना समापन रिपोर्ट (पीसीआर) प्रस्तुत करेगी।

रा.आ.बैंक ऑफसाइट निगरानी और ऑनसाइट निरीक्षण दोनों के माध्यम से यूआईडीएफ परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा।

लाभ

यूआईडीएफ के तहत वित्त के स्थिर और अनुमानित स्रोत के साथ, राज्यों द्वारा भविष्य के लिए तैयार टियर 2 और टियर 3 शहर बनाने के लिए समग्र योजना बनाई जा सकती है जो आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास को गति देगी। यह राज्यों और हमारे शहरों को ‘कल के सस्टेनेबल सिटीज़’ में परिवर्तित करने के लिए शहरी नियोजन सुधार और कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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